वफदारी के दलाल-हिन्दी शायरी


हुक्मरानों ने तय कर दी सरहदें
आम इंसानों का रास्ता रोकने के लिये,
उनकी तन्ख्वाहों पर पलने वाले
पहरेदार खड़े हैं आजादी से चलने वालों को
टोकने के लिये।
सिंहासन पर बैठने वाले चलते हैं
उड़न खटोले में
सांस लेते हैं मातहतों के टोले में,
बेईमानों और दहशतगर्दों का
रास्ता कोई नहीं रोक पाता,
दौलतमंदों के लिये तो
हर कायदा लापता हो जाता,
सब जगह खजाना लूटने की लड़ाई,
नाम है बस, आम इंसान की भलाई,
खड़े हैं गाजर घास के टोले की तरह
वफदारी के दलाज सभी जगह
उसके पसीने से निकली
पैसे की धारा को सोखने के लिये।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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टिप्पणियाँ

  • amrit'wani'  On 03/06/2010 at 7:34 पूर्वाह्न

    उसके पसीने से निकली
    पैसे की धारा को सोखने के लिये।

    bahut sundar

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