बड़ों के जाल में क्यों फंस जाते हो-हिन्दी शायरी ( khas insanon ka jaal-hindi shayari)


हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई में क्यों तुम बंट जाते हो,
पुराने नुस्खे हैं राजाओं के, तुम प्रजा होकर क्यों फंस जाते हो।
नस्ल पूछे बिना रेत पांव जला देती, जल कर देता है शीतल
बोझ उठाये कंधे पर अपना, तुम क्यों सवाल किये जाते हो।
धर्म, जाति और भाषा के गुटों की इस पुरानी जंग में,
अपनी अकेली जिंदगी को क्यों उलझाये जाते हो,
इंसान और इंसानियत का नारा भी एक धोखा है,
आदतें है सभी की अलग अलग क्यों भूल जाते हो।
इंसानों में भी होते हैं आम और खास शख्सियत के मालिक,
ओ आम इंसानो! तुम क्यों बड़ों के जाल में फंस जाते हो।
———–

संकलक,लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://anant-shabd.blogspot.com
————————

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन

Post a comment or leave a trackback: Trackback URL.

टिप्पणियाँ

  • संगीता पुरी  On 24/08/2010 at 12:13 पूर्वाह्न

    बहुत खूब .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!

  • Udan Tashtari  On 24/08/2010 at 6:46 पूर्वाह्न

    रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

%d bloggers like this: