फिर भी कभी चंद पल हंस लिये,
अपने सफर पर डालते हैं
जब अपनी नज़र
लगता है कि बस वही पल हमने जिये।
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कौन उन कमबख्तों का दिल जलाये
जो अपनी चिंताओं में खाक हुए हैं,
खड़े हैं जो बुत हमारे सामने
क्या उनसे बात करें,
जो चल रहे दूसरे के इशारे पर
अपनी अक्ल के साथ
जिनके ख्याल भी राख हुए हैं।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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टिप्पणियाँ
Mujhse Itna Rishta To Banaye Rakhna
Meri Dosti Dil Me Basaye Rakhna
Waqt Ko Koi Baandh Nhi Paya
Par Is Dosti Ko Palkon Pe Sajaye Rakhna…