अपना सफर-हिन्दी शायरी (apna safar-hindi shayari)


ग़मों को बोझ उठाते रहे उम्र भर
फिर भी कभी चंद पल हंस लिये,
अपने सफर पर डालते हैं
जब अपनी नज़र
लगता है कि बस वही  पल हमने जिये।
——-
कौन उन कमबख्तों का दिल जलाये
जो अपनी चिंताओं में खाक हुए हैं,
खड़े हैं जो बुत हमारे सामने
क्या उनसे बात करें,
जो चल रहे दूसरे के इशारे पर
अपनी अक्ल के साथ
जिनके ख्याल भी राख हुए हैं।
————–

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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टिप्पणियाँ

  • kukkumol  On 26/05/2011 at 11:39 अपराह्न

    Mujhse Itna Rishta To Banaye Rakhna
    Meri Dosti Dil Me Basaye Rakhna
    Waqt Ko Koi Baandh Nhi Paya
    Par Is Dosti Ko Palkon Pe Sajaye Rakhna…

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