जी-हुजूरी कराने में
इसलिये लोग जान बचाने के लिये
शैतानों को सलाम बजाते है।
कौन बजाये बड़ी दरबार का दरवाजा
बाहर खड़े दलालों से ही
कमीशन पर काम हो जाते हैं।
दुनियां के दस्तूर बदल गये हैं
फरिश्तों का वजूद बचाने के लिये भी
शैतान उनके महल पर पहरेदार बन जाते हैं।
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कौन बिना कसूर के जिंदा है यहां
किसकी शिकायत करे कौन,
अच्छे बुरे की पहचान पर
वैसे भी सभी हो गयी अक्ल मौन,
फरिश्तों की दलाली में
लग गये हैं शैतान
उनसे लड़ेगा कौन।
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