14 सितम्बर हिन्दी दिवस पर
हर बरस लगते हैं
राष्ट्रभाषा के नाम पर मेले,
वैसे हिंग्लिश में करते हैं टॉक
पूरे साल गुरु और चेले,
एक दिन होता है हिन्दी के नाम
कहीं गुरु बैठे ऊंघते है,
कहीं चेले नाश्ते के लिये
इधर उधर सूंघते हैं,
खाते और कमाते सभी हिन्दी से
अंग्रेजी में गरियाते हैं,
पर्सनल्टी विकास के लिये
हिंग्लिश का मार्ग भी बताते हैं।
कहें दीपक बापू
हिन्दी के शिरोमणियों की
जुबां ही अटक गयी है,
सोचे हिन्दी में
बोली अंग्रेजी की राह में भटक गयी है,
दुनियां में अपना ही देश है ऐसा
जहां राष्ट्रप्रेम का नारा
जोरदार आवाज में सुनाया जाता है,
पर्दे के पीछे विदेशों में भ्रमण का दाम
यूं ही भुनाया जाता है,
हिन्दी शिरोमणि कर रहे हैं
दिखावे की भारत भक्ति,
मन ही मन आत्मविभोर है
अमेरिका और ब्रिटेन की देखकर शक्ति,
यहीं है ऐसे इंसान
जो हिन्दी भाषा को रूढ़िवादी कहकर शरमाते हैं।
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja “Bharatdeep”
Gwalior Madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
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