कुश्ती लड़नेवाले योग पर टिप्पणी न करें-योग साधना पर विशेष लेख


                   हमारे देश के अध्यात्मिक दर्शन का मूल तत्व योग साधना है। इसके आठभाग है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं पर इसके बावजूद अनेक अल्पज्ञानी इस पर गाहबगाहे टिप्पणियां करने लग जाते हैं। लोकतंत्र में वाणी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है। यह ठीक भी है पर इसमें अब समस्या यह हो गयी है कि चाहे जो कुछ बोलने लगता है।  अनेक लोग प्रतिष्ठा के मद में इतने लिप्त हो जाते हैं कि अपने सर्वज्ञानी होने का भ्रम उनको हो जाता है। वह ऐसे विषयों पर भी बोल जाते हैं जिनके शास्त्र का अध्ययन उन्होंने नहीं किया होता वरन् इधर उधर से सुनकर अपनी राय बनाकर शब्द फैक देते हैं।  एक पेशेवर नकली पहलवान ने कह दिया कि ‘आलसी व बीमार लोग योग साधना करते हैं। ताकतवर को इसकी जरूरत नहीं है।’
        वैसे एक ऐसे योगाचार्य को लक्ष्य कर उसने अपनी बात कही जिन्होंने   वास्तव में योग साधना का समाज में बहुत प्रचार किया है पर उनकी वजह से ही अनेक लोग इसे शारीरिक व्यायाम समझने लगे हैं-एक तरह से जहां योग साधना प्रचार तो किया पर उससे साधकों को सीमित लक्ष्य तक ही रहने के लिये प्रेरित किया। देखा जाये तो पेशेवर पहलवान से एक पेशेवर योगाचार्य समाज के लिये अधिक बेहतर है-कम से कम अपने उसकी तरह महानायक होने का भ्रम तो नहीं पैदा करता।  बहरहाल पेशेवर पहलवान के बारे में कहा जाता है कि वह तयशुदा मुकाबले लड़ता है-मुक्केबाजी व कुश्ती खेल में इस तरह की चर्चा रहती है कि परिणाम न केवल तयशुदा होते हैं वरन् प्रहार भी दिखावटी होते हैं। अलबत्ता उसने पैसा व प्रचार खूब कमाया है जिससे उसके दिमाग में अपने  ज्ञानी होने का भ्रम होना स्वाभाविक है। उसे अब कौन समझाये कि योग के आठ भाग होते हैं जिनमें से गुजरने की आलसी सोच भी नहीं सकते और बीमारों के यह बस का नहीं होता। बीमारी भी देह की नहीं वरन् मन तथा विचार की भी होती है।
               आजकल आत्ममुग्धता की यह बीमारी पूरे समाज में फैल रही है कि  किसी भी विषय की किताब पढ़ने की बजाय उसका नाम पढ़कर ही लोग यह मानते हैं कि कि उन्हें ज्ञान हो गया। उर्दू की शायरी ने सभी लोग में यह अहंकार भर दिया है कि ‘खत का मजमून जान लेते हैं लिफाफा देखकर’। कथित नकली पर प्रसिद्ध पहलवान के बारे में हम  बस इतना ही कह सकते हैं कि वह स्वतः योग शास्त्र का अध्ययन करे फिर टिप्पणी करे।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja “Bharatdeep”
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja “Bharatdeep”,Gwalior

http://zeedipak.blogspot.com

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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