स्वर्ग की परियां किसने देखी
स्वयं जाकर
बस एक पुराना ख्याल है।
धरती पर जो मिल सकते हैं,
तमाम तरह के सामान
ऊपर और चमकदार होंगे
यह भी एक पुराना ख्याल है।
मिल भी जायें तो
क्या सुगंध का मजा लेने के लिये
नाक भी होगी,
मधुर स्वर सुनने के लिये
क्या यह कान भी होंगे,
सोना, चांदी या हीरे को
छूने के लिये हाथ भी होंगे,
परियों को देखने के लिये
क्या यह आंख भी होगी,
ये भी जरूरी सवाल है।
धरती से कोई चीज साथ नहीं जाती
यह भी सच है
फिर स्वर्ग के मजे लेने के लिये
कौनसा सामान साथ होगा
यह किसी ने नहीं बताया
इसलिये लगता है स्वर्ग और परियां
बस एक ख्याल है।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anantraj.blogspot.com
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