जुबां का रिश्ता-हिन्दी शायरी


आखों से अब अश्क नहीं बहते
क्योंकि दर्द का दरिया सूख गया है,
जहां दिल लगाया
दिल्लगी समझ जमाने ने मुंह फेरा
अब बयां नहीं करते किसी से अपने हाल
अपनी ही हकीकतों से
हमारी जुबां का रिश्ता टूट गया है।
———-
उनकी प्यार भरी निगाहें
देखकर हमने समझा कि
नज़र हम पर इनायत है।
मतलब निकलते ही
उन्होंने मुंह फेरा
तब उनकी नीयत का पता चला
फिर भी नहीं उनसे गिला
उनके इरादों की नावाकफियत पर
अपनी ही सोच से शिकायत है।
—————–

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका

Post a comment or leave a trackback: Trackback URL.

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

%d bloggers like this: