पूरे शहर में स्वच्छता
जरूर होना चाहिए
सभी मानते हैं।
लोग फैलाते हैं
स्वयं गंदगी जानबूझकर
कोई आयेगा साफ करने
यह जानते हैं।
कहें दीपक बापू सुविधा युग
जब से आया है,
ज़माने की बुद्धि पर
अंधेरा छाया है,
शराब और सिगरेट
बन गये संस्कार का हिस्सा,
पहले पीते थे छिपकर
अब सुनाते लोग शान से किस्सा,
गंदगी फैलाने में सभी हो गये माहिर
साफ करने की बात पर
भौहें तानते हैं।
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समाज के कल्याण का
काम इतना सरल है
सभी उसमें चले जाते हैं।
इसमें ढेर सारा मिलता दाम
साथ में मुफ्त सम्मान
विरोधियों के दिल
गले जाते हैं।
कहें दीपक बापू घर में
जिनके नहीं थे दाने,
उन्होंने ही बड़े बड़े होटल
और अस्पताल ताने,
प्रचार में बनाई काले धंधे के
व्यापारियों ने धवल छवि,
कथाकार लिखते उनकी
महान जीवन गाथा
छंद रच रहे कवि,
अज्ञानी उसमें फंसते हैं,
ज्ञानी मौन होकर हंसते हैं,
खाली थी जिनकी जेब
जुगाड़ से ताकतवर बने
सोने के सिक्के उनके
घर की तरफ चले आते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक ‘भारतदीप”,ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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AACHA YANGYA HAI
2014-11-01 10:34 GMT+05:30 “*** दीपक भारतदीप की हिंदी सरिता-पत्रिका***